Wednesday, July 27, 2011

यादें


चलो आज फिर यारों से गुफ्तगू हो जाए,
पुराने सालों की यादें फिर कुछ ताज़ा हो जाएँ

सुना है बारिश का मौसम है वहां फिर से,
याद है मुझे, वोह भीगना, और कभी देखना classroom की खिड़की से.
हाँ याद आया, उस दिन भी तोह बरसात हुई थी,
ताज महल की सीढ़ियों पर फिसला था कोई.
उम्..कौन था वो.. नाम याद नहीं है,
पर हम खूब हसे थे... रहा होगा वोह कोई.

बात बेबात हुए झगड़ों का भी अलग मज़ा था,
class के अंदर हुई बहस का result स्कूल के बहार लगता था.
एक सूजी हुई नीली आँख, और एक फटा हुआ होंठ अब भी याद है,
फ्लिमो मैं देखा था, उस दिन देखा की हकीकत में भी होता है
पर वो लडाई भी मानो बीती class की History जैसी होती थी,
जो result के बाद कभी भी याद नहीं रही.

कुछ अलग फिजा चली थी 98-00 के सालों में,
फरवरी का महिना कुछ ख़ास हो गया था सारों में.
Pocket money से बचाए हुए पैसे रोज़ गिनना,
Archies और Hallmarks पर सारा सारा दिन भटकना.
फिर बहुत मज़े से सुनते सुनाते थे कहानियाँ,
Rejections की ज्यादा और Accepts की बहुत कम, बस कुछ यहाँ वहां.

और कई पुराने किस्से हैं,
कुछ देखे हुए और कुछ सुने सुनाये,
चलो आज फिर यारों से गुफ्तगू हो जाए.

5 comments:

  1. Awesome Walk through School Days..Amazing days to go back to. :)

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  2. बहुत खूब लिखा योगी भाई...!

    मैं (राहुल ) हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
    बात ये है की तेरी बात चली मीलों तक

    राहुल सक्सेना

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  3. @Emo - They certainly were.. Good old days :-)

    @ Gunjan - Thanks ladke.. Keep coming back to my blog. Will try to be more regular.

    @Rahul - Thanks Rahul. And a great comment :-)

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  4. Nice work baba ... brings back nostalgic memories of school days. बहुत अच्छा है |

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